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Dhumavati Jayanti Puja Vidhi: यहां जानें धूमावती जयंती की पूजा विधि


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Dhumavati Jayanti Puja Vidhi

Dhumavati Jayanti Puja Vidhi: धूमावती जयंती ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन धूमावती देवी की विशेष पूजा (Dhumavati Devi Puja) का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि मां धूमावती (Goddess Dhumavati) को काले कपड़े में काले तिल लपेटकर चढ़ाने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। परंपरा के अनुसार, विवाहित महिलाएं मां धूमावती की पूजा नहीं करतीं और दूर से ही उनके दर्शन करती हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से विवाहित महिला के पुत्र और पति की रक्षा होती है।

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विशेषताओं और प्रकृति में इनकी तुलना देवी अलक्ष्मी, देवी ज्येष्ठा और देवी निरति से की जाती है। ये तीनों देवी-देवता नकारात्मक गुणों के अवतार हैं, लेकिन साथ ही वर्ष के विशेष समय पर इनकी पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं धूमावती जयंती की पूजा विधि पर एक नजर...

धूमावती जयंती की पूजा विधि (Dhumavati Jayanti Puja Vidhi)

1. इस दिन पूजा करने वाले व्यक्ति को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए और फिर स्नान करने के बाद सफेद या काले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। 

2.इसके बाद अपने पूजा घर या मंदिर को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें और फिर सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, फल,फूल,जल,धूप,दीप आदि से माता पार्वती के धूमावती स्वरूप की पूजा अर्चना करनी चाहिए। 

3.इस दिन माता घूमावती की कथा अवश्य सुननी चाहिए और बाकी लोगों को भी सुनानी चाहिए। 

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4.जब आपकी पूजा समाप्त हो जाए तो उसके बाद माता धूमावती से अपनी इच्छा को पूर्ण करने के लिए प्रार्थना अवश्य करें। मान्याता है कि यदि माता धूमावती की कृपा आप पर बरसती है तो आपकी सभी मनोकामनाएं तुरंत ही पूर्ण हो जाती हैं। 

5.घूमावती जयंती के दिन माता धूमावती विशेष रूप से पूजा करने के साथ ही उनके खास मंत्रों का जाप किया जाता है। जिसमें से सबसे खास मंत्र ऊं धूं धूं धूमावत्यै फट्।। धूं धूं धूमावती ठ: ठ: है। इस मंत्र का जाप रूद्राक्ष की माला से 108,21 या 51 बार किया जाता है।


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