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Dhumavati Jayanti Importance: जानिए क्या है धूमावती जयंती का महत्व

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Dhumavati Jayanti Importance

Dhumavati Jayanti Importance: देवी धूमावती (Goddess Dhumavati) 10 महाविद्याओं में से सातवीं महाविद्या हैं। जो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पृथ्वीं पर अवतरित हुई थीं। धूमावती की पूजा समाज के अविवाहित सदस्यों, जैसे कुंवारे और विधवाओं के लिए आदर्श मानी जाती है। जो लोग अपने शत्रुओं को परास्त करना चाहते हैं उन्हें मां धूमावती की पूजा (Goddess Dhumavati Puja) अवश्य करनी चाहिए। इसके अलावा और क्या है धूमावती जयंती का महत्व आइए जानते हैं...

धूमावती जयंती का महत्व (Dhumavati Jayanti Ka Mahatva)

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माता धूमावती की जयंती मनाई जाती है। इस दिन माता पार्वती के विधवा स्वरूप की पूजा की जाती है। माता धूमावती को दस महाविद्याओं में से सातवीं महाविद्या माना जाता है। इस दिन माता धूमातावती को काले वस्त्र में काले तिल बांधकर अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

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लेकिन इस दिन सुहागन महिलाएं माता धूमावती का पूजन नहीं करतीं। क्योंकि माता धूमावती एक विधवा स्वरूप में होती हैं। इसी कारण से सुहागन महिलाओं का माता धूमावती का पूजन करना वर्जित माना गया है। माता देवी धूमावती की साधना अत्यधिक दरिद्रता से मुक्ति पाने के लिए की जाती है। इसके साथ ही शरीर के सभी प्रकार के रोगों से मुक्ती पाने के लिए भी इनकी पूजा की जाती है।


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