Janmashtami Puja Vidhi: यहां जानें जन्माष्टमी की संपूर्ण पूजा विधि
Janmashtami Puja Vidhi |
Janmashtami Puja Vidhi: जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का आनंदमय उत्सव है। यह दिन स्वयं भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के पृथ्वी पर प्रकट होने का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। यह भारत में हिंदुओं के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक त्योहारों में से एक है। भगवान कृष्ण को एक अद्वितीय व्यक्तित्व का स्वामी माना जाता है। जो सदा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का प्रमुख उत्सव आधी रात को मनाया जाता है। इस दिन सुबह से ही मंदिरों में भजन, पूजा और कई अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं।
माना जाता है कि इस दिन जो भी भक्त उपवास रखकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करता है, उसकी समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। अगर आप भी इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करना चाहते हैं और आपको जन्माष्टमी की पूजा विधि के बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं जन्माष्टमी की पूजा विधि पर एक नजर...
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जन्माष्टमी पूजा विधि (Janmashtami Puja Vidhi)
1.जन्माष्टमी का व्रत अष्टमी तिथि से प्रांरभ होता है और नवमी तिथि पर इस व्रत का पारण किया जाता है।
2.जन्माष्टमी का व्रत करने वाले साधक को सूबह जल्दी उठकर नहा कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
3.हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर संकल्प करके मध्यान्ह के समय काले तिलों के जल से स्नान (छिड़ककर) कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएँ। अब इस सूतिका गृह में सुन्दर बिछौना बिछाकर उस पर शुभ कलश स्थापित करें।
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4. यदि संभव हो तो भगवान श्रीकृष्ण जी को स्तनपान कराती माता देवकी जी की मूर्ति या सुन्दर चित्र की स्थापना करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम क्रमशः लेते हुए विधिवत पूजन करें।
5.जन्माष्टमी का व्रत रात्रि बारह बजे के बाद ही खोला जाता है। इसलिए यदि आपने जन्माषटमी का व्रत किया है तो रात को 12 बजे के बाद ही व्रत का पारण करें इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता। फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फ़ी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है। इसलिए व्रत के पारण में अनाज का प्रयोग बिल्कुल भी न करें।
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