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Kajari Teej Significance: जानिए क्या है कजरी तीज का महत्व


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Kajari Teej Significance

Kajari Teej Significance: हिंदू पंचांग के अनुसार, कजरी तीज भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) के महीने में मनाई जाती है। भक्त इस दिन देवी पार्वती की पूजा (Goddess Parvati Puja) करते हैं। कजरी तीज महोत्सव मुख्य रूप से उत्तरी और पश्चिमी राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र, उनके अच्छे स्वास्थय और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत और पूजा जैसे अनुष्ठान करती हैं। इसके अलावा और क्या है कजरी तीज का महत्व (Kajari Teej Imporatance) आइए जानते हैं...

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कजरी तीज का महत्व (Kajari Teej Ka Mahatva)

हरियाली तीज की तरह ही कजरी तीज का व्रत भी सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए करती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं इस व्रत को सुयोग्य जीवनसाथी को प्राप्त करने के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं दुल्हन की तरह सजती हैं और पूरे विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। 

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कजरी तीज को  बूढ़ी तीज, सातूड़ी तीज, बड़ी तीज, कजली तीज आदि कई नामों से जाना जाता है। इस व्रत को भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है। माना जाता है कि जो भी स्त्री इस व्रत को करती है, उसे भगवान शिव और माता पार्वती के द्वारा अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और उसका वैवाहिक जीवन हमेंशा सुखमय बना रहता है।

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