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Anant Chaturdashi 2024 Kab Hai: अनंत चतु्र्दशी 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और अनंत चतुर्दशी की कथा

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Anant Chaturdashi 2024 Kab Hai

Anant Chaturdashi 2024 Kab Hai: अनंत चतुर्दशी को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व दिया जाता है। क्योंकि इसी दिन गणेश विसर्जन भी होता है। अनंत चतुर्दशी के अनंत धागे को रक्षासूत्र के रूप में कलाई पर बांधा जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की सभी प्रकार की बुराईयों से रक्षा होती है और उसकी सभी प्रकार की परेशानियों का अंत होता है। इस दिन विशेष रूप से माता यमुना, शेषनाग जी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं अनंत चतुर्दशी 2024 में कब है (Anant Chaturdashi 2024 Mein Kab Hai), अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त (Anant Chaturdashi Shubh Muhurat) और अनंत चतुर्दशी की कथा (Anant Chaturdashi Story)



अनंत चतुर्दशी 2024 तिथि (Anant Chaturdashi 2024 Date)

17 सितंबर 2024

अनंत चतुर्दशी 2024 शुभ मुहूर्त (Anant Chaturdashi 2024 Shubh Muhurat)

अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 07 मिनट से सुबह 11 बजकर 44 मिनट तक (17 सितंबर 2024)

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ -  शाम 03 बजकर 10 मिनट से (16 सितंबर 2024)

चतुर्दशी तिथि समाप्त -  अगले दिन सुबह 11 बजकर 44 मिनट तक (17 सितंबर 2024)

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अनंत चतुर्दशी की कथा (Anant Chaturdashi Ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में सुशीला नाम की एक लड़की थी, जिसके पिता ब्राह्मण थे। सुशीला के पिता ने उसकी मां के निधन के बाद कर्कश नाम की महिला से दूसरी शादी कर ली थी। कर्कश का सुशीला के साथ बहुत अच्छा व्यवहार नहीं था, इसलिए शादी होते ही सुशीला अपने घर से दूर अपने पति के साथ चली गई।

जिसका नाम कौण्डिन्य था। अपने पति के घर जाते समय सुशीला और उसके पति को एक नदी मिली और वे स्नान करने चले गए। सुशीला ने कुछ महिलाओं को प्रार्थना करते हुए देखा और उनके साथ जुड़ गई और उनसे उनकी प्रार्थना के बारे में पूछा। जिसके बाद महिलाओं ने उसे भगवान अनंत और उनके व्रत के महत्व के बारे में बताया। 

चूंकि सुशीला अपने पति के साथ एक नया जीवन शुरू करने वाली थी, उसने सोचा कि समृद्ध भावी जीवन के लिए भगवान अनंत से प्रार्थना करना और आशीर्वाद लेना सबसे अच्छा है। उसने सभी अनुष्ठानों का पालन किया, प्रतिज्ञा ली और अपने बाएं हाथ पर एक धागा बांधा।

एक दिन कौण्डिन्य ने अनंत के आशीर्वाद पर सवाल उठाया। क्योंकि उसका मानना ​​था कि उसने जो कुछ भी हासिल किया है वह उसकी कड़ी मेहनत और बुद्धिमत्ता के कारण है। इस बात पर सुशीला और कौण्डिन्य में विवाद हो गया और उसने अनंत डोरे को छीनकर आग में फेंक दिया। 

इसके बाद उसे दुर्भाग्य का सामना करना पड़ा और अंतत: वे गरीबी की ओर चले गए। जिसके बाद कौण्डिन्य को एहसास हुआ कि उसके बाद जो भी कुछ था वह अनंत धागे की वजह से ही था। इसके बाद कौण्डिन्य ने कठोर तपस्या की और अनंत से माफी मांगी और उसका जीवन फिर से सुखमय बन गया। 


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