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Rishi Panchami Importance: जानिए क्या है ऋषि पंचमी का महत्व

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Rishi Panchami Importance

Rishi Panchami Importance: ऋषि पंचमी भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष के पांचवें चंद्र दिवस पर मनाई जाती है। यह आमतौर पर गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के एक दिन बाद आती है। इस दिन सप्तऋषि अर्थात कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम महर्षि, जमदग्नि और वशिष्ठ की पूजा की जाती है। केरल में इस दिन को विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) के रूप में भी मनाया जाता है। ऋषि पंचमी व्रत में मुख्य रूप से लोग उन महान संतों के प्रति सम्मान, कृतज्ञता और स्मरण व्यक्त करते हैं, जिन्होंने समाज के कल्याण में बहुत योगदान दिया।

ऐसा माना जाता है कि ऋषि पंचमी व्रत का व्रत करना सभी के लिए लाभकारी होता है। लेकिन यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए होता है। ऋषि पंचमी का त्योहार एक महिला का अपने पति के प्रति भक्ति, कृतज्ञता, विश्वास और सम्मान व्यक्त करने का तरीका है। इस पर्व पर व्रत करने से अनजाने में हुए पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा और क्या है ऋषि पंचमी का महत्व आइए जानते हैं...

ऋषि पंचमी का महत्व (Rishi Panchami Ka Mahatva)

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है। ऋषि पंचमी को हिंदू धर्म में बहुत ही अधिक महत्व दिया गया है। महिलाओं को जिस समय पर मासिक धर्म आता है, उस समय वह अपवित्र मानी जाती है और उन्हें ऐसे में किसी भी काम को करने की अनुमति नहीं दी जाती। इस समय पर महिलाएं किसी भी धार्मिक कार्य में शामिल नहीं हो सकती।

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यही वजह से की उन्हें इस समय के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी पड़ती है और कड़े नियमों का पालन करना पड़ता। लेकिन फिर भी कई बार महिलाओं से किसी न किसी प्रकार की कोई न कोई भूल चूक हो ही जाती है। जिसकी वजह से उन्हें पाप का भागीदार भी बनना पड़ जाता है। महिलाओं की इसी भूल की क्षमा याचना के लिए सप्तऋषियों का पूजन किया जाता है। जिससे महिलाओं के द्वारा अनजाने में हुए पाप का प्रायश्चित हो जाए।


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