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Varaha Jayanti Puja Vidhi: यहां जानें वराह जयंती की संपूर्ण पूजा विधि

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Varaha Jayanti Puja Vidhi

Varaha Jayanti Puja Vidhi: वराह जयंती भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के तीसरे अवतार वराह (सूअर) के जन्म के उत्सव रूप में मनाई जाती है। भगवान विष्णु ने यह अवतार पानी के नीचे से पृथ्वी को दो शक्तिशाली राक्षसों से बचाने के लिए लिया था। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह दिन माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। पूरे देश में भगवान विष्णु और उनके सभी अलग-अलग अवतारों की बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। इस दिन भगवान वराह की पूजा (Lord Varaha Puja ) करने से उनके भक्तों को धन, भाग्य और खुशियां मिलती हैं। यदि आप भी वराह जयंती पर भगवान वराह की पूजा करना चाहते हैं तो आज हम आपको इस पर्व की पूरी पूजा विधि के बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं वराह जयंती की पूजा विधि पर एक नजर।

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वराह जयंती की पूजा विधि (Varaha Jayanti Ki Puja Vidhi)

1. वराह जयंती के दिन साधक पूजा से पहले स्वच्छता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए और स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को भी अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।

2. इसके बाद एक कलश पर भगवान वराह की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए और फिर फल, फूल, माला आदि अर्पित करनी चाहिए।

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3. भगवान वराह को माला आदि पहनाने के बाद उनकी की विधिवत पूजा करनी चाहिए और वराह जयंती की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए।

4. इसके बाद भगवान वराह की आरती करनी चाहिए और वराह जयंती के अगले दिन इस कलश का विसर्जन कर देना चाहिए। 

5.कलश के विसर्जन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा आदि देनी चाहिए।

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