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Ahoi Ashtami Significance: जानिए क्या है अहोई अष्टमी का महत्व

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Ahoi Ashtami Significance

Ahoi Ashtami Significance: अहोई अष्टमी का त्योहार (Ahoi Ashtami Festival) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व करवा चौथ के चार दिन बाद आता है और इसे अहोई आठे (Ahoi Aathe) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत (अहोई व्रत) रखती हैं। माताएं अहोई माता की पूजा करके अपनी संतान के लिए आशीर्वाद अर्जित करती हैं। इसके अलावा और क्या है अहोई अष्टमी का महत्व आइए जानते हैं...

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अहोई अष्टमी का महत्व (Ahoi Ashtami Ka Mahatva) 

करवा चौथ का व्रत जहां महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। वहीं अहोई अष्टमी का व्रत संतान की लंबी उम्र और उन्हें हर प्रकार की परेशानियों से बचाने के लिए किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और उनकी समृद्धि के लिए करती हैं। 

जहां करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा को अर्ध्य देकर उसकी पूजा की जाती है। वहीं इस व्रत में तारों की छावं में अर्ध्य दिया जाता है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन पड़ता है। इसलिए इसे अहोई अष्टमी कहा जाता है।अहोई अष्टमी का व्रत वह महिलाएं भी करती हैं। जिन्हें संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती।

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 शास्त्रों के अनुसार अगर कोई नि: संतान महिला इस व्रत को रखती हैं तो उसके घर में जल्द ही बच्चे की किलकारियां गूंजने लगती है। इसके अलावा अगर संतान को किसी भी प्रकार का कष्ट हो तो भी इस व्रत को करने से वह समस्या समाप्त हो जाती है। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। 

उनकी कथा सुनी जाती है और तारों की पूजा करके अहोई माता से संतान सुख की कामना की जाती है। इसलिए अहोई अष्टमी के व्रत को इतना महत्व दिया जाता है।


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