Header Ads

Sharad Purnima Significance: जानिए क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व

sharad purnima significance importance of sharad purnima sharad purnima ka mahatva
Sharad Purnima Significance

Sharad Purnima Significance: शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा के अन्य नाम कुमार पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा, नवान्न पूर्णिमा, आश्विन पूर्णिमा और कौमुदी पूर्णिमा (Kumara Purnima, Kojagiri Purnima, Navanna Purnima, Ashwin Purnima and Kaumudi Purnima) है। शरद पूर्णिमा में "शरद" शब्द वर्ष की "शरद ऋतु" (Sharad Ritu) (मौसम) को संदर्भित करता है।

ये भी पढ़ें- When is Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और शरद पूर्णिमा की कथा

कई भारतीय राज्यों में शरद पूर्णिमा को फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा पर कई भक्त देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर कोजागिरी से पूछती हैं, "कौन जाग रहा है" और जो जागते हुए पाए जाते हैं उन्हें आशीर्वाद देती हैं। 

परिणामस्वरूप, लोग इस रात सोते नहीं हैं और इसके बजाय पूरा दिन अत्यधिक समर्पण, उपवास, धार्मिक गीत गाते और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हुए बिताते हैं। इसके अलावा और क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व आइए जानते हैं...

शरद पूर्णिमा का महत्व (Sharad Purnima Ka Mahatva)

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं। आश्विन मास की इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा इस पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। 

ये भी पढ़ें- Kojagari Laxmi Puja Vidhi: यहां जानें कोजागरी लक्ष्मी पूजा की संपूर्ण विधि

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरूड़ जी पर सवार होकर रात्रि में विचरण करती हैं। इसी कारण से इस दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु और गरूड़ जी की भी पूजा की जाती है। 

शरद पूर्णिमा पर जो भी भक्त रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी की आराधना करता है, उसे मां लक्ष्मी धन और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन पृथ्वीं पर चंद्रमा की सकारात्मक किरणें पड़ती हैं। 

इसलिए इस दिन खीर बनाकर पूरी रात चंद्रमा की रोशनी में रखनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से उस खीर में अमृत बरसता है और सुबह उस खीर को प्रसाद स्वरूप घर के सभी लोगों को ग्रहण करना चाहिए। 


कोई टिप्पणी नहीं

If you have and doubts. Please Let Me Know

Blogger द्वारा संचालित.