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Narada Jayanti 2023 kab ki Hai: नारद जयंती 2023 कब की है, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

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Narada Jayanti 2023 Date

Narada Jayanti 2023 kab ki Hai: नारद जयंती ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन देवों की ऋषि नारद जी की पूजा-आराधना की जाती है। नारद जी को सबसे पहला पत्रकार भी माना जाता है। क्योंकि तीनो लोकों में सूचना पहुंचाने की शुरुआत इन्होंने ही की थी। इन्हें तीनों लोकों में वायु मार्ग द्वारा विचरण करने का वरदान प्राप्त है। नारद जी (Narad Ji) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की अनन्य भक्त भी माने जाते हैं। इसलिए नारद जयंती के दिन नारद जी की पूजा करने से भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं नारद जयंती 2023 में कब है (Narada Jayanti 2023 Mein Kab Hai),नारद जयंती का शुभ मुहूर्त (Narada Jayanti Shubh Muhurat),नारद जयंती का महत्व और नारद जयंती की पूजा विधि (Narada Jayanti Importance and Narada Jayanti Puja Vidhi)

नारद जयंती का महत्व (Narada Jayanti Ka Mahatva) 

नारद जयंती को देवर्षि नारद मुनि की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वैदिक पुराणों और पौराणिक कथाओं के अनुसार देवर्षि नारद एक सार्वभौमिक दिव्य दूत और देवताओं के बीच सूचना का प्राथमिक स्रोत हैं। नारद मुनि में सभी लोकों, आकाश , स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल सभी जगहों पर यात्रा करने की क्षमता है। माना जाता है कि वे पृथ्वी पर पहले पत्रकार थे। नारद मुनि सूचनाओं का संचार करने के लिए पूरे ब्रह्मांड में भ्रमण करते रहते हैं। 

ऋषि नारद भगवान नारायण के प्रबल भक्त हैं, जो भगवान विष्णु के रूपों में से एक हैं। नारायण के रूप में भगवान विष्णु को सत्य का अवतार माना जाता है।

उत्तर भारतीय पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। दक्षिण भारतीय अमावस्यंत कैलेंडर के अनुसार नारद जयंती वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष के दौरान प्रतिपदा तिथि को पड़ती है। यह चंद्र मास का नाम है जो अलग है और दोनों प्रकार के कैलेंडर में नारद जयंती एक ही दिन पड़ती है।

आमतौर पर नारद जयंती बुद्ध पूर्णिमा के अगले दिन पड़ती है। यदि प्रतिपदा तिथि को छोड़ दिया जाए तो बुद्ध पूर्णिमा और नारद जयंती एक ही दिन पड़ सकती है।

नारद जयंती पूजन विधि (Narada Jayanti Pujan Vidhi)

1. नारद जयंती के दिन साधक को सूर्योदय से पूर्व  उठना चाहिए और स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। 

2. इसके बाद पूजा स्थल की अच्छी तरह से सफाई करें और नारद जी, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। 

3. प्रतिमा स्थापित करने के बाद तुलसी, कुमकुम, फूल आदि वस्तुएं अर्पित करके नारद जी, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें।

4. नारद जयंती के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन  विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें।

5. इसके बाद नारद जी, भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई और माता लक्ष्मी को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं और अंत में धूप व दीप से सभी की आरती उतारें और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें।

नारद जयंती 2023 तिथि (Narada Jayanti 2023 Date)

6 मई 2023

नारद जयंती 2023 शुभ मुहूर्त (Narada Jayanti 2023 Shubh Muhurat)

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - दोपहर 1 बजकर 33 मिनट से (05 मई 2023)

प्रतिपदा तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक (6 मई 2023)


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