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Phulera Dooj Pujan Vidhi: यहां देखें फुलेरा दूज की संपूर्ण पूजा विधि


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Phulera Dooj Puja Vidhi

Phulera Dooj Pujan Vidhi: फुलेरा दूज का त्योहार (Phulera Dooj Festival) सबसे शुभ और सर्वोच्च दिनों में से एक माना जाता है। यह त्योहार उत्तर भारत के सभी क्षेत्रों में मनाया जाता है, विशेषकर ब्रज, मथुरा और वृन्दावन के क्षेत्रों में यह त्यौहार एक महत्वपूर्ण दिन है। यह त्यौहार पूरी तरह से भगवान कृष्ण (Lord Krishna) को समर्पित है। फुलेरा दूज हिंदू कैलेंडर के फागुन महीने में शुक्ल पक्ष द्वितीया को मनाया जाता है। फुलेरा दूज वसंत पंचमी और होली के त्योहार के बीच आता है। फुलेरा दूज के दिन, भगवान कृष्ण के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। इस दिन हजारों श्रद्धालु वृन्दावन मथुरा वृंदावन भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के दर्शनों के लिए आते हैं।

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फुलेरा का शाब्दिक अर्थ है 'फूल' जिसका तात्पर्य फूलों से है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण फूलों से खेलते हैं। इसलिए इस दिन भगवान कृष्ण के साथ रंग-बिरंगे फूलों से होली खेली जाती है। यह त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां और उल्लास लाता है। यह त्योहार प्रकृति मां के आशीर्वाद के प्रति आभारी होने की याद दिलाता है। इतना ही नहीं इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की पूजा करने से वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं फुलेरा दूज की पूजा विधि।

फुलेरा दूज पूजा विधि (Phulera Dooj Puja Vidhi)

1. फुलेरा दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की विशेष पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद एक चौकी को अच्छी तरह से साफ करके उस पर गंगाजल छिड़कें और उस पर एक वस्त्र बिछाएं। यदि संभव हो तो चौकी पर पीले रंग का ही वस्त्र बिछाएं।

3. चौकी पर वस्त्र बिछाने के बाद उसे फूलों से सजाएं और फिर उस पर भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

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4. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण को गुलाल अर्पित करें और राधा जी को श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं और फिर दोनों की विधिवत पूजा करें

5.पूजा के बाद भगवान श्री कृष्ण और राधा जी को मिठाई का भोग लगाएं और फिर भगवान श्री कृष्ण के चरणों में चढ़ाए गए गुलाल से तिलक करें और उसे अपने गालों पर लगाएं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण और राधा जी से पूजा में हुई किसी भी भूल के क्षमा याचना अवश्य करें।

6. इसके बाद राधा जी को अर्पित चीजों में से किसी एक को अपने पास रख लें और बाकी की वस्तुएं किसी निर्धन सुहागन स्त्री को दान में दे दें।



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