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Sheetala Saptami Puja Vidhi: शीतला सप्तमी की पूजा विधि


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Sheetala Saptami Puja Vidhi


Sheetala Saptami Puja Vidhi: शीतला सप्तमी देवी शीतला को समर्पित है, जिन्हें देवी पार्वती (Goddess Parvati) का अवतार माना जाता है। माता शीतला की पूजा (Goddess Sheetala Puja) साल में दो बार विशेष रूप से की जाती है, सबसे पहले चैत्र माह में कृष्ण पक्ष को  और फिर श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को यह पर्व मनाया जाता है।

इस दिन देवी शीतला से चेचक और चेचक जैसी बीमारियों से सुरक्षित रहने के लिए प्रार्थना की जाती है। शीतला शब्द का अर्थ शीतलता या ठंडक है। यह त्यौहार उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से मनाया जाता है।

वहीं माता शीतला को देश के दक्षिणी भागों में देवी मरियम्मन या देवी पोलेरम्मा के रूप में पूजा जाता है और इसके साथ ही आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के क्षेत्रों में यह त्यौहार पोलाला अमावस्या के नाम से भी मनाया जाता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं शीतला सप्तमी की पूजा विधि

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शीतला सप्तमी की पूजा विधि (Sheetala Saptami Puja Vidhi)

1. शीतला सप्तमी से एक दिन पहले यानी षष्ठी तिथि के दिन ही रसोई की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए और स्नान आदि करने के बाद शीतला सप्तमी का भोजन तैयार करना चाहिए। जिसमें  मीठा भात, खाजा, चूरमा, कच्चा और पक्का खाना,नमक पारे, बेसन की पकौड़ी मुख्य रूप से हो।

2.इसके बाद शीतला सप्तमी के दिन आपको ठंडे पानी से ही स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

3.शीतला सप्तमी की पूजा से पहले आपको कड़वारों को भरना चाहिए। जिसमें रबड़ी, चावल,पुए, पकौड़े और कच्चा पक्का खाना होना चाहिए।

4. इसके बाद एक थाली में काजल,रोली,चावल,मौली,हल्दी,होली के बड़गुल्लों की एक माला और एक रूपए का सिक्का रखें।

5.इस थाली को तैयार करने के बाद एक आंटा गूथकर उसका एक दीपक बनाएं और उसमें रूई की बाती घी में डूबोकर लगाएं।

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6. इसके बाद आप माता शीतला के मंदिर में जाएं।यदि आपके घर के आस-पास माता शीतला का कोई मंदिर न हो तो आप होलिका दहन वाले स्थान पर भी माता शीतला की पूजा कर सकती हैं। 

7.मंदिर में जाकर सबसे पहले माता शीतला को रोली और हल्दी का टीका लगाएं और उन्हें काजल,मेहंदी और लच्छा और वस्त्र अर्पित करें और उन्हें तीन कंडवारे का समान अर्पित करें

8. इसके बाद उन्हें आंटे का दीपक बिना जलाए ही अर्पित कर दें और उन्हें सभी भोजन सामग्री में से थोड़ा- थोड़ा भोग लगाएं और उन्हें जल चढ़ाएं। आप जो जल माता शीतला को चढ़ा रही हैं उसमें से थोड़ा सा जल लेकर अपने लोटे में ले लें।

9. इसके बाद माता शीतला को प्रणाम करें और उनसे पूजा में हुई किसी भी भूल के क्षमा याचना अवश्य करें।

10. इसके बाद घर आकर लोटे के जल को पूरे घर में छिड़क दें। इससे घर की शुद्धि होती है और घर के सभी सदस्यों को पूजा में से बची हुई हल्दी का तिलक करें। ऐसा करने से उनकी रोगों से रक्षा होती है।


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