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Buddha Purnima Importance: जानिए क्या है बुद्ध पूर्णिमा का महत्व


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Buddha Purnima Importance

Buddha Purnima Importance: बुद्ध पूर्णिमा को न केवल बौद्ध धर्म में बल्कि हिंदू धर्म में भी बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। यह त्योहार हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। इसलिए बौद्ध धर्म (Boudha Religion) के लोग इस दिन को हर साल बुद्ध जयंती (Buddha Jayanti) रूप मे मनाते हैं।  बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार भारत, चीन, नेपाल, थाईलैंड और जापान में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा और क्या है बुद्ध पूर्णिमा का महत्व आइए जानते हैं... 

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बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान विष्णु से जुड़ी मान्यता (Lord Vishnu Significane in Buddha Purnima) 

शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन ही भगवान विष्णु ने अपने नौवें अवतार भगवान बुद्ध के रूप में धरती पर जन्म लिया था। वहीं इस दिन से जुड़ी एक और मान्यता भी है। जिसके अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल सखा सुदामा जी गरीबी के दिनों में उनसे मिलने गए थे। उस समय भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा जी को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था। जो बुद्धि पूर्णिमा का दूसरा नाम भी है।

इसके बाद जब सुदामा जी ने श्री कृष्ण के द्वारा बताए गए इस व्रत को विधि विधान से किया तो उनकी गरीबी से मुक्ति मिल गई और सभी प्रकरा के सुखों की प्राप्ति हुई। वहीं इस दिन धर्मराज की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि धर्मराज सत्यविनायक व्रत से अति प्रसन्न होते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार धर्मराज को मृत्यु को देवता माना जाता है। इसलिए जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है। उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

बुद्ध पूर्णिमा पर बौद्ध से धर्म जुड़ी मान्यता (Boudha Religion Importance on Buddha Purnima) 

बौद्ध धर्म के अनुसार भगवान बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था। जो कपिलवस्तु नामक राज्य के राजकुमार थे। जिनकी माता का नाम महामाया और पिता का नाम शुद्धोदन था। लेकिन एक राजकुमार होते हुए भी भगवान बुद्ध ने शांति की खोज में 27 साल की उम्र में अपना  घर-परिवार, राजपाट सब छोड़ दिया और काशी के पास सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया। जहां उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचें कई सालों तक कठोर तपस्या की।


जिसके बाद उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह महान सन्यासी गौतम बुद्ध के नाम से प्रचलित हुए और फिर उन्होंने अपने इस ज्ञान को पूरे विश्व में फैलाया और विश्व शांति का उपदेश देकर शांति स्थापित की।


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