Kurma Jayanti Importance: जानिए क्या है कूर्म जयंती का महत्व
Kurma Jayanti Importance: कूर्म जयंती भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के कछुए के अवतार में जन्म लेने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। शाब्दिक अर्थ में, कूर्म शब्द का संस्कृत में अर्थ कछुआ होता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु मंदराचल पर्वत को उठाने के लिए कछुए के रूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं और साथ ही जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति भी होती है। इसके अलावा और क्या है कूर्म जयंती का महत्व (Kurma Jayanti Significance) आइए जानते हैं...
कूर्म जयंती का महत्व (Kurma Jayanti Importance)
कूर्म जयंती हिंदुओं के लिए एक पवित्र त्योहार माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस समय देवता और असुर मंदरांचल पर्वत द्वारा समुद्र मंथन कर रहे थे। उस समय वह पर्वत डूबने लगा था।
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इसी वजह से भगवान विष्णु ने एक विशाल कछुए का अवतार लेकर उस पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया। जिसके बाद समुद्र मंथन सफल हो सका और उसमें से 14 दिव्य उपहार, रत्न और देवी-देवता प्रकट हुए। यह दिन किसी भी नए काम को शुरू करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग भवन निर्माण जैसे कार्य भी कराते हैं। वहीं माना जाता है कि योगमाया भगवान कूर्म के साथ ही रहती हैं।
इसलिए इस दिन नए घर में शिफ्ट होना या फिर वास्तु से जुड़ा कोई भी काम करना काफी शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और साथ ही उसके जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और उसे सभी प्रकार की सुख और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।
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