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Kurma Jayanti Puja Vidhi: यहां देखें कूर्म जयंती की संपूर्ण पूजा विधि

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Kurma Jayanti Puja Vidhi


Kurma Jayanti Puja Vidhi: कूर्म जयंती एक हिंदू त्योहार है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने एक कछुए के रूप में अवतरित हुए थे। जो उनका दूसरा अवतार भी माना जाता है। भगवान विष्णु ने यह अवतार समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर उठाने के लिए लिया था। इस दिन भक्त पूरे उल्लास और समर्पण के साथ धार्मिक रूप से पूजा करते हैं। कूर्म जयंती के अवसर पर भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजा और समारोह का भी आयोजन किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की कूर्म अवतार की पूजा (Kurma Avatar Puja) करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और साथ ही सुख और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं कूर्म जयंती की पूजा विधि।

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कूर्म जयंती की पूजा विधि (Kurma Jayanti Puja Vidhi)

1. कूर्म जयंती की पूजा शाम के समय की जाती है। इसलिए साधक को शाम के समय स्नान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए और फिर एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें।

2. इसके बाद पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और फिर भगवान श्री गणेश और भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।

3. मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करने के बाद चौकी पर एक तांबे का कछुआ रखें। अगर आपके पास तांबे का कछुआ नहीं है तो आप मिट्टी से बना कछुआ भी रख सकते हैं। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की कूर्म अवतार की ही पूजा की जाती है। 

4. इसके बाद उस कछुए के ऊपर हल्दी का पर्वत बनाए। आप चाहें तो हल्दी की जगह मिट्टी का भी पर्वत बना सकते हैं। 

5. पर्वत बनाने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें पहले चंदन और फिर रोली का तिलक करें। इसके बाद उन्हें मोली, फूल और दूर्वा अर्पित करें। 

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6. इसके बाद भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार की पूजा करें। सबसे पहले भगवान विष्णु और कछुए को चंदन और रोली का तिलक करें और फिर उन्हें अक्षत चढ़ाएं।

7.इसके बाद इसी तरह से कछुए की पीठ पर बनाए गए पर्वत की पूजा करें और फिर भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार रूपी कछुए को वस्त्र के रूप में मौली अर्पित करें। 

8.मौली अर्पित करने के बाद उन्हें पीले रंग के फूलों की माला पहनाएं और फूल अर्पित करें। 

9.इसके बाद धूप व दीप जलाएं और कूर्म अवतार की कथा पढ़े या सुने।

10. कथा सुनने के बाद धूप व दीप से भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार की आरती उतारें।

11. इसके बाद भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार को किसी भी प्रकार की पीले रंग की मिठाई या फिर जो भी प्रसाद आपने बनाया हो उसका भोग लगाएं।

12. अंत में पूजा में हुई किसी भूल के लिए क्षमा याचना करें और इस प्रसाद को घर के सभी लोगों के बीच में बांट दें और फिर किसी ब्राह्मण या निर्धन व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दें।

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