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Buddha Purnima 2025 Date and Time: बुद्ध पूर्णिमा 2025 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं

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Buddha Purnima 2025 Date and Time

Buddha Purnima 2025 Date and Time: बुद्ध पूर्णिमा वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) को बुद्ध जयंती (Buddha Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस साल गौतम बुद्ध (Gautama Buddha) की 2586 वीं जयन्ती मनाई जाएगी। माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। इसी कारण बुद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को बुद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं। वहीं हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान बुद्ध (Lord Buddha) को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का नौंवा अवतार माना जाता है। जिनका जन्म बुद्ध पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसी कारण से इस दिन स्नान और दान को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा 2025 में कब है (Buddha Purnima 2025 Mein Kab Hai), बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Buddha Purnima Ka Shubh Muhurat) और बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं (Buddha Purnima Se Judi Manytaye)



बुद्ध पूर्णिमा 2025 तिथि (Buddha Purnima 2025 Date)

12 मई 2025

बुद्ध पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त (Buddha Purnima 2025 Shubh Muhurat)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - रात 8 बजकर 01 मिनट से (11 मई 2025)

पूर्णिमा तिथि समाप्त - अगले दिन रात 10 बजकर 25 मिनट तक (12 मई 2025)


बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं (Importance of Buddha Purnima) 

शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन ही भगवान विष्णु ने अपने नौवें अवतार भगवान बुद्ध के रूप में धरती पर जन्म लिया था। वहीं इस दिन से जुड़ी एक और मान्यता भी है। जिसके अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल सखा सुदामा जी गरीबी के दिनों में उनसे मिलने गए थे। उस समय भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा जी को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था। जो बुद्धि पूर्णिमा का दूसरा नाम भी है।

इसके बाद जब सुदामा जी ने श्री कृष्ण के द्वारा बताए गए इस व्रत को विधि विधान से किया तो उनकी गरीबी से मुक्ति मिल गई और सभी प्रकरा के सुखों की प्राप्ति हुई। वहीं इस दिन धर्मराज की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि धर्मराज सत्यविनायक व्रत से अति प्रसन्न होते हैं। 

बौद्ध धर्म के अनुसार भगवान बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था। जो कपिलवस्तु नामक राज्य के राजकुमार थे। जिनकी माता का नाम महामाया और पिता का नाम शुद्धोदन था। लेकिन एक राजकुमार होते हुए भी भगवान बुद्ध ने शांति की खोज में 27 साल की उम्र में अपना  घर-परिवार, राजपाट सब छोड़ दिया और काशी के पास सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया। जहां उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचें कई सालों तक कठोर तपस्या की। जिसके बाद उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह महान सन्यासी गौतम बुद्ध के नाम से प्रचलित हुए 

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