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Kurma Jayanti 2024 Date: कूर्म जयंती 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहू्र्त और कूर्म जयंती की कथा

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Kurma Jayanti 2024 Date

Kurma Jayanti 2024 Date: कूर्म जयंती का त्योहार (Kurma Jayanti Festival) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के कूर्म अवतार की पूजा (Kurma Avatar Puja) की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की कूर्म अवतार की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और साथ ही सुख और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं कूर्म जयंती 2024 में कब है (Kurma Jayanti 2024 Mein Kab Hai), कूर्म जयंती का शुभ मुहूर्त (Kurma Jayanti Shubh Muhurat)


कूर्म जयंती 2024 तिथि (Kurma Jayanti 2024 Tithi)

23 मई 2024

कूर्म जयंती 2024 शुभ मुहूर्त (Kurma Jayanti 2024 Shubh Muhurat)

कूर्म जयंती शुभ मुहूर्त - शाम 4 बजकर 25 से शाम 7 बजकर 10 मिनट तक (23 मई 2024)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - शाम 6 बजकर 47 मिनट से (22 मई 2024)

पूर्णिमा तिथि समाप्त - अगले दिन शाम 7 बजकर 22 मिनट तक (23 मई 2024)


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कूर्म जयंती की कथा (Kurma Jayanti Story)

पुराणों के अनुसार एक बार देवता राक्षसों से युद्ध करने में असमर्थ हो गए थे। क्योंकि भगवान इंद्र को ऋृषि दुर्वासा द्वारा श्राप दिया गया था। जिसकी वजह से देवता बलहीन हो गए थे। जिसका लाभ उठाकर बलि ने तीनों लोकों में अपना राज्य स्थापित कर लिया और देवता निर्बल होकर भटकते रहे।

जिसके बाद सभी देवता एक साथ भगवान ब्रह्मा के पास गए और सहायता मांगी। भगवान ब्रह्मा सभी देवताओं के साथ भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें समस्या के बारे में बताया। भगवान विष्णु ने क्षीर सागर में होने वाले समुद्र मंथन के बारे में सुझाव दिया। जिससे देवता अमृत (पवित्र जल) का सेवन करेंगे और अमर हो जाएंगे और राक्षसों का वध करने में सक्षम होंगे।

भगवान विष्णु के सुझाव के अनुसार देवता समुद्र मंथन के लिए सहमत हो गए। जिसके बाद उन्होंने मंदरांचल पर्वत को मंथन और रस्सी के रूप में नागराज वासुकि को चुना। वे मंदरांचल पर्वत को क्षीर सागर तक ले गए। लेकिन जैसे ही उन्होंने मंदरांचल पर्वत को सागर में छोड़ा तो वह डूबने लगा।

इस दौरान भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार यानी कछुए का अवतार लिया और मंदरांचल पर्वत को अपनी पीठ पर उठा लिया। इस प्रकार, देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन पूरा हुआ और देवताओं को अमृत प्राप्त हो सका।

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