Header Ads

Chinnamasta Jayanti Puja Vidhi: यहां जानें छिन्नमस्ता जयंती की संपूर्ण पूजा विधि

chinnamasta jayanti puja vidhi chinnamasta puja benefits how to worship chinnamasta devi
Chinnamasta Jayanti Puja Vidhi

Chinnamasta Jayanti Puja Vidhi: देवी छिन्नमस्ता हिंदू धर्म में दस महाविद्याओं में से छठी महाविद्या मानी जाती हैं। इन्हें ज्ञान और शक्ति की देवी के रूप में भी जाना जाता है। माता छिन्नमस्ता अपने अनूठे और आकर्षक प्रतिनिधित्व के लिए जानी जाती हैं, जो मनोरम और गहन दोनों है। छिन्नमस्ता माता पार्वती (Goddess Parvati) का छठा उग्र रूप है। छिन्नमस्ता विरोधाभासों की देवी हैं। माता छिन्नमस्ता को दोनों चरणों का प्रतीक माना जाता है: जीवन देने वाली और जीवन लेने वाली। इन्हें छिन्नमस्तिका और प्रचंड चंडिका (Chinnamasta and Prachanda Chandika) भी कहा जाता है। 

माता छिन्नमस्ता की पूजा करने से जीवन के बड़े-बड़े से दुख नष्ट हो जाते हैं। जो भी व्यक्ति अपने जीवन में शत्रुओं से अत्याधिक परेशान है, उसे माता छिन्नमस्ता की पूजा अवश्य करनी चाहिए तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं छिन्नमस्ता जयंती की पूजा विधि।

छिन्नमस्ता जयंती पूजन विधि (Chinnamasta Jayanti Pujan Vidhi)

1. इस दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। 

2. इसके बाद एक साफ चौकी पर गंगाजल छिड़क लें और फिर इस पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। 

3. मूर्ति स्थापित करने के बाद सबसे पहले भगवान शिव का पूजन करें और उन्हें फूलों की माला और फूल अर्पित करें। इसके बाद मां पार्वती को फूलों की माला पहनाएं और नीले रंग के फूल अर्पित करें। 

4.इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती के आगे लोभान की धूप जलाएं और इत्र अर्पित करें। ऐसा करने से मां अत्यंत ही प्रसन्न होती हैं। 

5. लोभान की धूप और इत्र अर्पित करने के बाद सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

ये भी पढ़ें- Chinnamasta Jayanti 2024 Date: छिन्नमस्ता जयंती 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और छिन्नमस्ता जयंती की कथा

6. इसके बाद भगवान शिव को नारियल,नैवेद्य, मिठाई और उड़द की दाल अर्पित करें। 

7. इसके बाद मां छिन्नमस्ता या माता पार्वती के मंत्रों का जाप करें और मां छिन्नमस्ता की कथा पढ़े या सुने।

8.कथा पढ़ने या सुनने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की धूप व दीप से आरती उतारें। 

9. इसके बाद भगवान शिव को मिठाई और माता पार्वती को उड़द की दाल का भोग लगाएं। 

10. अंत में भगवान शिव और माता पार्वती से पूजा में हुई किसी भूल के क्षमा याचना अवश्य करें और फिर कन्या पूजन भी अवश्य करें। क्योंकि कन्या पूजन के बिना मां छिन्नमस्ता की पूजा अधूरी मानी जाती है। 


कोई टिप्पणी नहीं

If you have and doubts. Please Let Me Know

Blogger द्वारा संचालित.