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Narasimha Jayanti Significance: जानिए क्या है नरसिंह जयंती का महत्व

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Narasimha Jayanti Significance

Narasimha Jayanti Significance: भगवान नरसिंह (Lord Narasimha) श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) के चौथे और सबसे अधिक पूजे जाने वाले अवतारों में से एक हैं, जो एक शक्तिशाली राक्षस हिरण्यकश्यप को मारने के लिए मानव शरीर और शेर के सिर के साथ पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। जिस दिन भगवान नरसिंह ने इस प्रतिष्ठित रूप में अवतार लिया था, वह दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। इसी कारण से हर साल इस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा और क्या है नरसिंह जयंती का महत्व (Narasimha Jayanti Ka Mahatva) आइए जानते हैं...

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नरसिंह जयंती का महत्व (Narasimha Jayanti Importance)

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को बहुत ही लाभकारी बताया गया है। यह व्रत एक ऐसा व्रत है, जिसके करने मात्र से ही ब्रह्म हत्या तक का दोष समाप्त हो जाता है। इतना ही नहीं इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को सांसारिक सुख, भोग और मोक्ष तीनों की ही प्राप्ति होती है। 

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नरसिंह जयंती का व्रत करने वाला मनुष्य अपने सातों जन्म के पाप से मुक्त होकर अपार धन और संपत्ति का मालिक बनता है। इसके अलावा जो भी व्यक्ति नरसिंह जयंती की कथा सुनता है उसकी भी सभी इच्छाओं का पूर्ति होती है।यदि कोई व्यक्ति अपने शत्रुओं से अत्याधिक परेशान हो, उसे तो यह व्रत अवश्य ही करना चाहिए। 

क्योंकि इस व्रत के प्रताप से मनुष्य अपने शत्रुओं पर आसानी से विजय प्राप्त कर लेता है। नरसिंह जयंती के व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। जब चतुर्दशी तिथि समाप्त हो जाए। लेकिन यदि चतुर्दशी तिथि सूर्योदय पर ही खत्म हो रही हो तो व्रती अपने व्रत का पारण संपूर्ण कार्यों को पूरा करने के बाद कर सकता है।


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