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Sita Navami Puja Vidhi: जानिए क्या है सीता नवमी की संपूर्ण पूजा विधि


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Sita Navami Puja Vidhi

Sita Navami Puja Vidhi: सीता नवमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। जो देवी सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को 'सीता जयंती' और 'जानकी नवमी' (Sita Jayanti and Janaki Navami) के नाम से भी जाना जाता है। माता सीता (Goddess Sita) का विवाह भगवान राम (Lord Rama) से एक 'स्वयंवर' में हुआ था, जो राजा जनक ने अपने राज्य मिथिला में आयोजित किया था। सीता नवमी का त्योहार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। 

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इस दिन महिलाएं माता सीता की विधिवत पूजा करती हैं और उनसे अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए प्रार्थना करती हैं तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं सीता नवमी की संपूर्ण पूजा विधि पर एक नजर।

सीता नवमी पूजा विधि (Sita Navami Puja Vidhi)

1. सीता नवमी के दिन पूजा करने वाले व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद उनसे एक चौकी पर गंगाजल डालकर शुद्ध कर लें और फिर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।

3. चौकी बिछाने के बाद भगवान श्री राम और माता सीता की सोने की, पीतल की, तांबे या मिट्टी की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। यदि आपके पास इनमें से कोई भी मूर्ति न हो तो आप भगवान श्री राम और माता सीता की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं।

4. इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश और फिर माता गौरी की पूजा करें और फिर आचमन के बाद भगवान श्री राम और माता सीता को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र और आभूषण आदि अर्पित करें।

5. वस्त्र और आभूषण अर्पित करने के बाद भगवान श्री राम और माता सीता को गंध, सिंदूर, चंदन, पुष्प, माला, फल, नैवेद्य और मिष्ठान अर्पित करें।

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6. इसके बाद धूप व दीप जलाएं और भगवान श्री राम और माता सीता की विधिवत पूजा करें।

7.पूजा के बाद सीता नवमी की कथा अवश्य पढ़ें या सुने।

8.इसके बाद भगवान श्री राम और माता सीता को मिठाई का भोग अवश्य लगाएं और फिर उनकी धूप व दीप से आरती उतारें।

9.आरती के बाद भगवान श्री राम और माता सीता से पूजा में हुई किसी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।

10.इसके बाद अगले दिन दिन भगवान श्री राम और माता सीता को अर्पित की गई सभी वस्तुएं किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को दान कर दें और मंडप का किसी पवित्र नदी में विसर्जन कर दें।


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