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Makar Sankranti 2025 Mein Kab Hai: मकर संक्रांति 2025 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, इतिहास और मकर संक्रांति की कथा


Makar Sankranti 2025 Mein Kab Hai: सूर्य देव (Surya Dev) के हर साल मकर राशि (Makar Rashi) में गोचर करने के साथ ही मकर संक्रांति के त्योहार (Makar Sankranti Festival) को मनाया जाता है। भारत में इस त्योहार को कई नामों से पुकारा जाता है। इस त्योहार को पूर्वोत्तर राज्यों में बिहु ,दक्षिणी राज्यों में पोंगल (Pongal) तो कहीं खिचड़ी और उत्तरायण नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) के दिन दान और स्नान को अधिक महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि इस दिन स्नान और दान करने से मनुष्य के जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है तो चलिए जानते हैं मक्रांति साल 2025 में कब है (Makar Sankranti 2025 Mein Kab Hai), मकर संक्राति का शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Shubh Muhurat)

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मकर संक्रांति 2025 की तिथि (Makar Sankranti 2023 Tithi)

14 जनवरी 2025

मकर संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2025 Shubh Muhurat)

मकर संक्रान्ति पुण्य काल -  सुबह 9 बजकर 03 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक (14 जनवरी 2025)

मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल - सुबह 9 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक (14 जनवरी 2025)

मकर संक्रान्ति का क्षण - 09:03 एम (14 जनवरी 2025)


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मकर संक्रांति का इतिहास (Makar Sankranti History)

हिंदू पौराणिक शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के शुभ दिन पर, भगवान सूर्य अपने पुत्र भगवान शनि से मिलने जाते हैं, जो सूर्य राशि मकर का शासक ग्रह भी है। किंवदंती है कि कई मतभेदों के कारण उनके बीच संबंध अच्छे नहीं थे। भगवान सूर्य की अपने पुत्र से यह मुलाकात मतभेदों के बावजूद स्वस्थ संबंधों के उत्सव को दर्शाती है। इसलिए, यह भी माना जाता है कि यदि कोई पिता इस विशेष दिन पर अपने बेटे से मिलने जाता है, तो उनके झगड़े सुलझ जाते हैं और सुख और समृद्धि के साथ सकारात्मकता साझा होती है।

मकर संक्रांति की कथा (Makar Sankranti Story)

मकर संक्रांति की एक कथा बहुत प्रचलित है। जिसके अनुसार महाभारत के शक्तिशाली भीष्म पितामह के बारे में है। उन्हें अपनी मृत्यु का समय स्वयं चुनने का विशेष वरदान प्राप्त था। 

कुरुक्षेत्र युद्ध के अंत में जब घायल भीष्म बाणों की शय्या पर लेटे हुए थे, तो उन्होंने अपनी मृत्यु के समय के रूप में उत्तरायण या मकर संक्रांति के शुभ समय की प्रतीक्षा की। इसलिए कहा जाता है कि इस दौरान जिसकी भी मृत्यु होती है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति से जुड़ी एक और कहानी यह है कि एक बार शंकरासुर नामक एक राक्षस था। जिसने पृथ्वी के लोगों को आतंकित किया था। त्योहार की देवी देवी संक्रांति पृथ्वी पर आईं और मकर संक्रांति के दिन राक्षस शंकरासुर का वध किया।


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