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Hariyali Amavasya Importance: जानिए क्या है हरियाली अमावस्या का महत्व

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Hariyali Amavasya Importance

Hariyali Amavasya Importance: हरियाली अमावस्या श्रावण माह के कृष्ण पक्ष के दौरान अमावस्या को मनाई जाती है। यह मानसून की शुरुआत का प्रतीक है। यह श्रावण मास की पहली अमावस्या है। इस दिन भगवान शिव की भक्तिभाव से पूजा की जाती है। हरियाली अमावस्या का उत्सव राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में बहुत प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र में, इसे 'गटारी अमावस्या' (Gatari Amavasya) के रूप में मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश में 'चुक्कल अमावस्या' (Chukkala Amavasya) के रूप में और ओडिशा में इसे 'चितलगी अमावस्या' (Chitalagi Amavasya) के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा और क्या है हरियाली अमावस्या का महत्व आइए जानते हैं...

हरियाली अमावस्या का महत्व (Hariyali Amavasya Ka Mahatva)

हरियाली तीज के उत्सव से तीन दिन पहले हरियाली अमावस्या आती है। 'श्रवण' का महीना भगवान शिव को समर्पित है। यह मानसून के मौसम से जुड़ा है जो अच्छी फसल और सूखे की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार, 'श्रवण' महीना देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए शुभ है। 

हरियाली अमावस्या के दिन पितृ तर्पण और दान पुण्य करना शुभ माना जाता है। हरियाली अमावस्या पर 'पीपल' के पेड़ की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन आम,पीपल, बरगद और नीम का पौधा लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। 

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इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह दिन पित्तरों के तर्पण के लिए भी बहुत ही शुभ माना जाता है। 


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