Hariyali Teej Importance: यहां जानें हरियाली तीज का महत्व
Hariyali Teej Importance |
कहा जाता है कि यह सौंदर्य और प्रेम का त्योहार है जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं हरी साड़ियों और हरी चूड़ियों में सुंदर रूप से तैयार होती हैं। क्योंकि यह हरे रंग का त्योहार माना जाता है। इसके अलावा और क्या है हरियाली तीज का महत्व आइए जानते हैं...
हरियाली तीज का महत्व (Hariyali Teej Significance)
हिंदू धर्म में हरियाली तीज का त्योहार सुहागन स्त्रियों के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि यह व्रत सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। हरियाली तीज का यह त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसी कारण से इसे श्रावण तीज और छोटी तीज भी कहा जाता है।
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जिस समय हरियाली तीज का यह त्योहार आता है, उस समय चारों तरफ हरियाली हो जाती है। श्रावण मास से ही भारत में मानसून आता है। वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती है। इसी वजह से हरियाली तीज को ग्रीन तीज भी कहकर पुकारा जाता है।
यह त्योहार विशेष रूप से भारत के उत्तरी राज्यों में, मुख्य रूप से बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने अखंड सुहाग और अपने वैवाहिक सुख के लिए उपवास रखकर मां पार्वती से प्रार्थना करती हैं। इस व्रत में पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है।
इसी कारण से इसे निर्जला व्रत भी कहते हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को अच्छा जीवनसाथी प्राप्त करने के लिए रखती हैं। माना जाता है कि इसी दिन माता पार्वती को भगवान शिव पत्नी के रूप में प्राप्त हुए थे। इसी कारण से हरियाली तीज के इस व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है।
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