Durva Ashtami 2024 Kab Hai: दूर्वा अष्टमी 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और दूर्वा अष्टमी की कथा
Durva Ashtami 2024 Kab Hai |
Durva Ashtami 2024 Kab Hai: दूर्वा अष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन दूर्वा घास की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में दूर्वा घास को सबसे पवित्र माना जाता है और इसका इस्तेमाल भगवान गणेश की पूजा में विशेष रूप से किया जाता है। इसी कारण से इस दिन भगवान गणेश और भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। माना जाता है कि जो भी महिला इस दिन व्रत रखती है। उसे जीवन की सभी सुख सुविधाएं प्राप्त होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं दूर्वा अष्टमी 2024 में कब है (Durva Ashtami 2024 Mein Kab Hai), दूर्वा अष्टमी का शुभ मुहूर्त (Durva Ashtami Shubh Muhurat) और दूर्वा अष्टमी की कथा (Durva Ashtami Story)
दूर्वा अष्टमी 2024 तिथि (Durva Ashtami 2024 Date)
11 सितंबर 2024
दूर्वा अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त (Durva Ashtami 2024 Shubh Muhurat)
पूर्वविद्धा समय - सुबह 6 बजकर 04 मिनट से शाम 6 बजकर 31 मिनट तक (11 सितंबर 2024)
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - रात 11 बजकर 11 मिनट से (10 सितंबर 2024)
अष्टमी तिथि समाप्त - अगले दिन रात 11 बजकर 46 मिनट तक (11 सितंबर 2024)
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दूर्वा अष्टमी की कथा (Durva Ashtami Ki Katha)
एक बार अनलासुर नामक राक्षस ने स्वर्ग में उत्पात मचा दिया था। उसने अपनी आंखों से आग निकाली और अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को नष्ट कर दिया। जिसकी वजह से सभी देवता भाग गए और उन्होंने भगवान गणेश से मदद मांगी। भगवान गणेश ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह अनलासुर का अंत कर देंगे।
युद्ध के मैदान में अनलासुर ने भगवान गणेश पर आग के गोलों से हमला करना शुरू कर दिया। उस क्षण भगवान गणेश ने उन्हें अपना 'विराट रूप' दिखाया और उस राक्षस को निगल लिया। राक्षस को निगलने के बाद, भगवान गणेश अपने शरीर के अंदर उत्पन्न गर्मी के कारण बेचैन हो गए।
जिसके बाद चंद्रमा देव उनकी मदद के लिए आए और भगवान गणेश के सिर पर खड़े हो गए। इस प्रकार, उनका नाम 'भालचंद्र' रखा गया। भगवान विष्णु ने गणेश जी की गर्मी को कम करने के लिए उन्हें अपना कमल दिया, भगवान शिव ने गणेश के पेट के चारों ओर अपने नाग को बांध दिया।
लेकिन कुछ भी गर्मी को कम नहीं कर सका। अंत में कुछ ऋषि 21 दूर्वा लेकर आए और इसे भगवान गणेश के सिर पर रख दिया। जिसके बाद जादुई रूप से गर्मी गायब हो गई। इस प्रकार, भगवान गणेश ने घोषणा की कि जो कोई भी दूर्वा घास से उनकी पूजा करेगा, उसे हमेशा उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा।
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