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Durva Ashtami Importance: जानिए क्या है दूर्वा अष्टमी का महत्व

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Durva Ashtami Importance

Durva Ashtami Importance: दूर्वा घास को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। जिसे भगवान गणेश को अर्पित करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसी वजह से दूर्वा अष्टमी के त्योहार (Durva Ashtami Festival) को भी बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार को विशेषकर श्चिम बंगाल में बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। दूर्वा अष्टमी को बंगाल में "दुर्वाष्टमी व्रत" (Durvashtami Brata) उपनाम से मनाया जाता है। इसके अलावा और क्या है दूर्वा अष्टमी का महत्व आइए जानते हैं...

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दूर्वा अष्टमी का महत्व (Durva Ashtami Ka Mahatva)

हिंदू धर्म में दूर्वा घास का विशेष धार्मिक महत्व है। यह समृद्धि का प्रतीक है और इसकी पवित्रता और समर्पण के साथ पूजा की जाती है।पुराणों के अनुसार यह माना जाता है कि भगवान विष्णु की भुजा से गिरे बाल दूर्वा घास बन गए। समुद्र मंथन के बाद जब असुर और देवता 'अमृत' के लिए लड़ रहे थे, तब अमृत की कुछ बूंदें दूर्वा घास पर गिरीं और तब से यह शुभ और अमर हो गई।

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जो व्यक्ति दूर्वा अष्टमी को पूरे समर्पण के साथ दूर्वा घास की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।इसके अलावा यह माना जाता है कि जो व्यक्ति दूर्वा अष्टमी पर केवल कच्चे खाद्य पदार्थों का सेवन करता है, वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, यहां तक ​​कि वह ब्रह्म हत्या के भी दोष से मुक्त हो जाता है। 

दुर्वा घास का महत्व भी राजा युधिष्ठिर को स्वयं भगवान कृष्ण ने समझाया था। भगवान कृष्ण ने कहा कि एक व्यक्ति जो धार्मिक रूप से दूर्वा अष्टमी पूजा करता है, उसे अपनी विरासत को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ने का आशीर्वाद प्राप्त होगा।


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