Dussehra 2024 Kitne Tarikh ko Hai: दशहरा 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और दशहरे की कथा
Dussehra 2024 Kitne Tarikh ko Hai |
Dussehra 2024 Kitne Tarikh ko Hai: दशहरा का त्योहार (Dussehra Festival) आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। जिसे विजयदशमी (Vijayadashami) के नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दशहरा से नौ दिन पहले शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri ) पर रामलीला का आयोजन किया जाता है। इसके बाद दशमी तिथि के दिन रावण, कुभंकर्ण और मेघनाथ के पुतले फूंके जाते हैं तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं दशहरा 2024 में कब है (Dussehra 2024 Mai Kab Hai), दशहरा का शुभ मुहूर्त (Dussehra Shubh Muhurat) और दशहरे की कथा (Dussehra Story)
12 अक्टूबर 2024
दशहरा 2024 शुभ मुहूर्त (Dussehra 2024 Shubh Muhurat)
विजय मुहूर्त - दोपहर 2 बजकर 03 मिनट से दोपहर 2 बजकर 49 मिनट तक (12 अक्टूबर 2024)
अपराह्न पूजा का समय - दोपहर 1 बजकर 17 मिनट से शाम 3 बजकर 35 मिनट तक (12 अक्टूबर 2024)
दशमी तिथि प्रारम्भ - सुबह 10 बजकर 58 मिनट से (12 अक्टूबर 2024)
दशमी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक (13 अक्टूबर 2024)
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ -सुबह 5 बजकर 25 मिनट से (12 अक्टूबर 2024)
श्रवण नक्षत्र समाप्त - अगले दिन सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक (13 अक्टूबर 2024)
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दशहरे की कथा (Dussehra Ki Katha)
रामायण की कथा के अनुसार जब भगवान राम, माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूरा कर रहे थे। उस समय लंका का राजा रावण माता सीता का अपहरण करके उन्हें अपने राज्य लंका (वर्तमान श्रीलंका) में ले गया था। राम ने रावण से माता सीता को रिहा करने के लिए कहा, लेकिन रावण ने इनकार कर दिया।
दस हजार वर्षों तक कठोर तपस्या करने के बाद, रावण को सृष्टिकर्ता-भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त हुआ था कि उसे देवताओं, राक्षसों किसी के द्वारा नहीं मारा जा सकेगा। जिसकी वजह से भगवान विष्णु ने रावण का वध करने के लिए मानव रूप में राम अवतार लिया था। जब रावण माता सीता को छोड़ने के लिए राजी नहीं हुआ तब भगवान राम ने वानरों के साथ मिलकर लंका पर आक्रमण कर दिया।
जिसके बाद भगवान राम और रावण के बीच एक घातक और भयंकर युद्ध हुआ और भगवान राम ने रावण का वध कर दिया। जिस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, उस दिन दशहरा ही था। इसी कारण से हर साल दशहरे के इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
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