Ganesh Visarjan 2024 Start and End Date: गणेश विसर्जन 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और गणेश विसर्जन की कथा
Ganesh Visarjan 2024 Start and End Date |
Ganesh Visarjan 2024 Start and End Date: जिस तरह से गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना की जाती है, उसी प्रकार से अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का विसर्जन किया जाता है। इन 10 दिनों में भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है और उन्हें उनकी पसंद की चीजों का भोग लगया जाता है और ग्यारहवें दिन उनका पूरे विधि विधान से विसर्जन कर दिया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं गणेश विसर्जन 2024 में कब है (Ganesh Visarjan 2024 Mein Kab Hai), गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan Ka Shubh Muhurat) और गणेश की कथा (Ganesh Visarjan Story)
गणेश विसर्जन 2024 तिथि (Ganesh Visarjan 2024 Tithi)
17 सितंबर 2024
गणेश विसर्जन 2024 शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan 2024 Shubh Muhurat)
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - सुबह 9 बजकर 11 मिनट से दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक (17 सितंबर 2024)
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से दोपहर 04 बजकर 51 मिनट तक (17 सितंबर 2024)
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - शाम 07 बजकर 51 से रात 09 बजकर 19 मिनट तक (17 सितंबर 2024)
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 10 बजकर 47 मिनट (17 सितंबर 2024) से अगले दिन सुबह 11 बजकर 11 मिनट तक (18 सितंबर 2024)
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - शाम 03 बजकर 10 मिनट से (16 सितंबर 2024)
चतुर्दशी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 11 बजकर 44 मिनट तक (17 सितंबर 2024)
पुराणों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश को महाभारत लिखने के लिए आमंत्रित किया था और भगवान गणेश ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया था। लेकिन इसके साथ एक शर्त भी रखी कि जब मैं 'एक बार लिखना शुरू कर दूं तो कलम बंद नहीं करूंगा।
अगर कलम रुक गई तो मैं लिखना बंद कर दूंगा। व्यास जी ने यह शर्त मान ली और उन्होंने अपनी आंखें बंद करके महाभारत सुनाना शुरू कर दिया। जिसके भगवान गणेश ने बिना रुके इसे लिख दिया। 10 दिनों के बाद जब महाभारत पूरी हुई तो व्यास जी ने देखा कि भगवान गणेश का तापमान काफी बढ़ गया था।
जिसके बाद व्यास जी ने भगवान गणेश को ठंडा करने के लिए उन्हें पानी में डुबो दिया और तभी से गणपति विसर्जन की परंपरा चली आ रही है।
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