Header Ads

Hariyali Amavasya 2025 Mein Kab Hai: जानिए हरियाली अमावस्या में 2025 में कब है और क्या है हरियाली अमावस्या की कथा


hariyali amavasya 2025 mein kab hai hariyali amavasya 2025 date and time hariyali amavasya story
Hariyali Amavasya 2025 Mein Kab Hai

Hariyali Amavasya 2025 Mein Kab Hai: हरियाली अमावस्या का त्योहार सावन मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके पित्तरों का तर्पण करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं हरियाली अमावस्या 2025 में कब है (Hariyali Amavasya 2025 Mein Kab Hai), हरियाली अमावस्या प्रारंभ और समाप्ति की तिथि (Hariyali Amavasya Start and End Date) और हरियाली अमावस्या की कथा (Hariyali Amavasya Story)



हरियाली अमावस्या 2025 तिथि (Hariyali Amavasya 2025 Date)

24 जुलाई 2025

हरियाली अमावस्या 2025 प्रारंभ और समाप्ति की तिथि (Hariyali Amavasya 2025 Start and End Date)

अमावस्या तिथि प्रारम्भ -  रात 2 बजकर 28 मिनट से (24 जुलाई 2025)

अमावस्या तिथि समाप्त - अगले दिन रात 12 बजकर 40 मिनट तक (25 जुलाई 2025)

ये भी पढ़ें- Hariyali Amavasya Importance: जानिए क्या है हरियाली अमावस्या का महत्व



हरियाली अमावस्या की कथा (Hariyali Amavasya Ki Katha)

एक समय की बात है, एक राजा महल में अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक निवास किया करता था। उसका एक पुत्र था, जिसकी शादी हो चुकी थी। राजा की पुत्रवधू ने एक दिन रसोई में मिठाई रखी हुई देखी तो वह सारी मिठाई खा गई। जब उससे पूछा गया कि सारी मिठाई कहां गई तो उसने कहा, सारी मिठाई तो चूहे खा गए।

यह बात चूहों ने सुन ली और वे इस गलत आरोप को सुनकर अत्यंत क्रोधित हुए। इसके बाद उन्होंने राजा की बहू को सबक सिखाने का निश्चय कर लिया। कुछ दिनों के पश्चात् महल में कुछ मेहमान आए, चूहों ने सोचा कि यह अच्छा मौका है, राजा की पुत्रवधू को सबक सिखाने का।

बदला लेने के लिए, चूहों ने बहू की साड़ी चुराई और उसे जाकर अतिथि के कमरे में रख दी। जब सुबह सेवकों और अन्य लोगों ने उस साड़ी को वहां पर देखा, तो लोग राजा की बहू के चरित्र के बारे में बात करने लगे। यह बात जंगल में आग की तरह पूरे गांव में फैल गई। जब यह बात राजा के कानों तक पहुंची तो उसने अपनी पुत्रवधू के चरित्र पर शक करते हुए, उसे महल से निकाल दिया।

राजा की बहू महल से निकलकर एक झोपड़ी में रहने लगी और नियमित रूप से पीपल के एक वृक्ष के नीचे दीपक जलाने लगी। इसके साथ ही वह पूजा करके, गुड़धानी का भोग लगाकर, लोगों में प्रसाद वितरित करने लगी। इस प्रकार कुछ दिन बीत जाने के बाद, एक दिन राजा उस पीपल के पेड़ के पास से गुज़रे, जहां उनकी बहू हमेशा दीपक जलाया करती थी। इस दौरान उनका ध्यान उस पेड़ के आस-पास जगमगाती रोशनी पर गया। राजा इसे देखकर चकित रह गए।

महल में वापस आने के बाद उन्होंने अपने सैनिकों से उस रोशनी के रहस्य का पता लगाने के लिए कहा। सैनिक राजा की बात मानकर उस पेड़ के पास चले गए, वहां पर उन्होंने देखा कि दीपक आपस में बात कर रहे थे। सभी दीपक अपनी-अपनी कहानी बता रहे थे, तभी एक दीपक बोला, मैं राजा के महल से हूं। महल से निकाले जाने के बाद, राजा की पुत्रवधू रोज मेरी पूजा करती है और मुझे प्रज्वलित करती है।

सभी अन्य दीपकों ने उससे पूछा कि राजा की बहू को महल से क्यों निकाला गया, तो उसने बताया कि, एक दिन उसने मिठाई खाकर चूहों का झूठा नाम लगा दिया। इस पर चूहे नाराज हो गए और राजा की बहू से बदला लेने के लिए उसकी साड़ी अतिथि के कमरे में रख आए। यह सब देखकर राजा ने उन्हें महल से निकाल दिया।

यह सब सुनकर सैनिक भी हैरान रह गए और महल वापिस आकर उन्होंने राजा को पूरी कहानी सुनाई। यह सुनकर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी पुत्रवधू को महल में वापस बुला लिया। इस प्रकार पीपल के पेड़ की नियमित पूजा करने का फल राजा की बहू को मिला और वह अपना जीवन आराम से व्यतीत करने लगी।


कोई टिप्पणी नहीं

If you have and doubts. Please Let Me Know

Blogger द्वारा संचालित.