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Shitala Satam Date 2024: शीतला सातम 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और शीतला सातम की कथा

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Shitala Satam Date 2024

Shitala Satam Date 2024: शीतला सातम का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की सप्तम तिथि को मनाया जाता है। इस दिन रोगों की देवी मां शीतला की विधिवत पूजा की जाती है और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से गुजरात में मनाया जाता है। माना जाता है कि जो भी महिला इस दिन पूरे विधि विधान से मां शीतला की आराधना करती है तो उसके परिवार के लोगों को किसी भी प्रकार के भयानक रोग नहीं सताते तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं शीतला सातम 2024 में कब है (Shitala Satam 2024 Mein Kab Hai),शीतला सातम का शुभ मुहूर्त (Shitala Satam Shubh Muhurat) और शीतला सातम की कथा (Shitala Satam Story) 


शीतला सातम 2024 तिथि  (Shitala Satam 2024 Date)

25 अगस्त 2024

शीतला सातम 2024 शुभ मुहूर्त (Shitala Satam 2024 Shubh Muhurat)

शीतला सातम पूजा मुहूर्त - सुबह 5 बजकर 56 से शाम 6 बजकर 50 मिनट तक (25 अगस्त 2024)

सप्तमी तिथि प्रारम्भ  सुबह 5 बजकर 30 मिनट से (25 अगस्त 2024)

सप्तमी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक (26 अगस्त 2024)


शीतला सातम की कथा (Shitala Satam Ki Katha)

शीतला सातम व्रत संतान की सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ शीतला सातम कथा भी सुननी या पढ़नी चाहिए। इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। एक गांव में एक औरत अपनी दो बहुओं के साथ रहती थी। वे खुशी से रह रहे थे। 

शीतला सातम के दिन बुढ़िया और उसकी बहुएं शीतला सातम का व्रत रखती थीं। बुढ़िया एक दिन पहले ही खाना बना लेती थी। शीतला सातम के दिन तीनों महिलाएं एक दिन पहले पका हुआ खाना ही खाती थीं। कुछ समय उस बुढ़िया की दोनों बहुएं गर्भवती हो गईं। हालांकि, इस बार उन्हें बासी खाना खाने की चिंता सता रही थी। उन्हें लगता था कि इससे उनके बच्चे को नुकसान हो सकता है।

इसलिए दोनों बहुंए शीतला माता की पूजा करने के बाद बासी खाना नहीं खातीं और ताजा खाना बनाकर खा लेती है। जब बुढ़िया ने दोनों बहुओं से इस बारे में पूछा तो वे झूठ बोल गईं। जिसकी वजह से मां शीतला क्रोधित हो जाती हैं और जब दोनों बहुओं अपने-अपने बच्चों को जन्म देती हैं तो उनके बच्चों की मृत्यु हो जाती है। 

जिससे दोनों बहुएं बहुत दुखी होती हैं। जिससे उनकी सास उन्हें खरी खोटी सुनाती हैं। जब सास को सच्चाई पता चलती है तो वह उन्हें घर से बाहर निकाल देती है। बहुएं अपने नवजात शिशुओं के शव को लेकर घर से निकल जाती हैं। रास्ते में वे दोनों एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठ जाती हैं। 

वहां उनकी मुलाकात गोरी और शीतला नाम की दो महिलाओं से होती है। दोनों अपने बालों से जूं हटाने की कोशिश कर रहे थीं। दोनों बहुएं उनकी मदद करने का फैसला करती हैं। जिससे दोनों लड़कियां बहुत खुश हैं। जब उनके शरीर का दर्द दूर हो जाता है तो उन्हें बहुत आराम मिलता है और दोनों बहनें बहुओं को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं। 

बहुओं को एहसास हुआ कि दोनों बहनें कोई और नहीं बल्कि शीतला देवी का अवतार थीं। दोनों बहुएं नवजात शिशुओं को जीवित लेकर अपने घर लौट आती हैं। वे यह चमत्कार गांव में सभी को बताती हैं। सभी लोग शीतला देवी की जय-जयकार करते हैं और भक्ति भाव से देवी की पूजा करने लगते हैं।


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