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When is Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्व पितृ अमावस्या 2024 में कब है, जानिए श्राद्ध का मुहूर्त और सर्व पितृ अमावस्या की कथा

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When is Sarva Pitru Amavasya 2024

When is Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) का आखिरी दिन होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन सभी पित्तरों का श्राद्ध (Pitru Shradh) एक साथ किया जा सकता है। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति को अपने पूर्वजों के मरने के तिथि न पता तो हो वह इस दिन श्राद्ध कर्म करके अपने पित्तरों को मुक्ति दिला सकता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या 2022 में कब है (Sarva Pitru Amavasya 2024 Mein Kab Hai), सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध का मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya Shradh Muhurat) और सर्व पितृ अमावस्या की कथा (Sarva Pitru Amavasya Story)

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सर्व पितृ अमावस्या 2024 तिथि (Sarva Pitru Amavasya 2024 Date)

2 अक्टूबर 2024

सर्व पितृ अमावस्या 2024 श्राद्ध मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya 2024 Shradh Muhurat)

कुतुप मूहूर्त - सुबह 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक

रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से दोपहर 1 बजकर 21 तक 

अपराह्न काल - दोपहर 1 बजकर 21 मिनट से दोपहर 3 बजकर 43 मिनट तक


अमावस्या तिथि प्रारम्भ -  रात 9 बजकर 39 मिनट से (1 अक्टूबर 2024)

अमावस्या तिथि समाप्त - अगले दिन रात 12 बजकर 18 मिनट तक (3 अक्टूबर 2024)

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सर्व पितृ अमावस्या की कथा (Sarva Pitru Amavasya Ki Katha)

यह कथा महाभारत के नायक कर्ण से संबंधित है। अपने जीवनकाल के दौरान, उदार कर्ण ने सभी प्रकार के सोने और चांदी का दान किया, लेकिन कभी भी भोजन का दान नहीं किया था और जब मृत्यु के बाद वह स्वर्ग लोक में गए तो उन्हें सोने और चांदी के रूप में बहुत सारी संपत्ति मिली, लेकिन भोजन नहीं मिला। 

व्यथित कर्ण ने मृत्यु के देवता भगवान यम से प्रार्थना की और उनकी कृपा से कर्ण कुछ समय के लिए पृथ्वी पर लौट आए। उन्होंने पितृ पक्ष के पंद्रह दिनों में जरूरत मंदों को भरपूर भोजन दान किया और अंतिम दिन वह बहुत संतुष्टि और तृप्ति के साथ पितृ लोक वापस गए। इस कारण से इन दिनों भोजन दान को सबसे शुभ माना जाता है। 

इसलिए जो लोग पूरे पितृ पक्ष में भोजन दान नहीं कर सकते उन्हें अंतिम दिन, यानी सर्व पितृ अमावस्या पर भोजन दान अवश्य करना चाहिए। यमराज ने भी कहा है कि इस अवधि के दौरान किए गए भोजन दान से न केवल पृथ्वीं लोक पर रहे लोगों के पूर्वजों को लाभ होगा, बल्कि उन्हें अपने पूर्वजों का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा।

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