Sarva Pitru Amavasya Significance: जानिए क्या है सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
Sarva Pitru Amavasya Significance |
सर्वपितृ अमावस्या का महत्व (Sarva Pitru Amavasya Importance)
सर्वपितृ अमावस्या को धर्म ग्रंथों में बहुत अधिक महत्व दिया गया है। 'सर्वपितृ' शब्द का अर्थ है सभी पित्तर या पूर्वज और अमावस्या का अर्थ है नया चंद्र दिवस। सर्वपितृ अमावस्या को बंगाल के कई क्षेत्रों में महालय के रूप में मनाया जाता है। जो दूर्गा पूजा के उत्सव की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
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इसी वजह से इस दिन को महालय अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। दक्षिण भारत में सर्वपितृ अमावस्या को भाद्रपद महीने में मनाया जाता है और उत्तर भारत में इसे अश्विन महीने में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष की आखिरी तिथि होती है।
जिसमें सभी पित्तरों का एक साथ श्राद्ध किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को अपने किसी पूर्वज के मरने के तिथि न पता हो तो वह इस दिन उसका श्राद्ध कर सकता है। इसी कारण से सर्वपितृ अमावस्या को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है।
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