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Bhuvaneshwari Jayanti Significance: जानिए क्या है भुवनेश्वरी जयंती का महत्व

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Bhuvaneshwari Jayanti Significance

Bhuvaneshwari Jayanti Significance: भुवनेश्वरी जयंती भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। दस महाविद्याओं (Das Mahavidyas) में से एक भुवनेश्वरी देवी (Bhuvaneshwari Devi) को चौथे स्थान पर रखा गया है। वह आदि शक्ति का स्वरूप हैं, जो देवी का अवतार हैं, जो शक्ति का आधार है। भुवनेश्वरी देवी को प्रकृति की माता माना जाता है, जो संपूर्ण प्रकृति की देखभाल करती हैं। इसके अलावा और क्या है भुवनेश्वरी जयंती का महत्व आइए जानते हैं...

भुवनेश्वरी जयंती का महत्व (Bhuvaneshwari Jayanti Ka Mahatva)

माता भुवनेश्वरी दस महाविद्याओं में से चौथी महाविद्या मानी जाती हैं। इन्हें विश्व माता के रूप में भी जाना जाता है। जो पूरे ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है कि वह सारी दुनिया की रानी है और पूरे ब्रह्मांड पर राज करती है। 

मां भुवनेश्वरी को आदि शक्ति यानी शक्ति के शुरुआती रूपों में से एक के रूप में जाना जाता है। इनका एक चेहरा, 3 आँखें और चार हाथ है। 

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जिसमें से दो हाथ वरद मुद्रा एवं अंकुश मुद्रा भक्तों की रक्षा और आशीर्वाद देते है, जबकि बाकि दो हाथ पाश मुद्रा एवं अभय मुद्रा दानव, असुरों का संहार करते है. वे सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है। इनका शारीरिक रंग गहरा है, इनके नाख़ून समस्त ब्रह्मांड को दर्शाते है. इनके चेहरे में एक चमक है, एक तेज है।

इन्होने चंद्रमा को मुकुट के रूप में धारण किया हुआ है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति देवी भुवनेश्वरी का साधना करता है, उसे सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति हो जाती है। मां भुवनेश्वरी को विशेष रूप से संतान, धन, ज्ञान और भाग्य के लिए पूजा जाता है।


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