Vamana Jayanti 2024 kab Hai: वामन जयंती 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और वामन जयंती की कथा
Vamana Jayanti 2024 kab Hai |
Vamana Jayanti 2024 kab Hai: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती मनाई जाती है। परिवर्तनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) के अगले दिन वामन जयंती पड़ने के कारण इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। वामन अवतार भगवान विष्णु का पांचवा अवतार है। जिसे भगवान विष्णु ने राजा बलि को तीनों लोकों पर से कब्जा करने से रोकने के लिए लिया था। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन वामन देवता की विधिवत पूजा करता है, उसे संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं वामन जयंती 2024 में कब है (Vamana Jayanti 2024 Mein Kab Hai), वामन जयंती का शुभ मुहूर्त (Vamana Jayanti Shubh Muhurat) और वामन जयंती की कथा (Vamana Jayanti Story)
वामन जयंती 2024 तिथि (Vamana Jayanti 2024 Date)
15 सितंबर 2024
वामन जयंती 2024 शुभ मुहूर्त (Vamana Jayanti 2024 Shubh Muhurat)
द्वादशी तिथि प्रारम्भ - रात 8 बजकर 41 मिनट से (14 सितंबर 2024)
द्वादशी तिथि समाप्त - अगले दिन शाम 6 बजकर 12 मिनट तक (15 सितंबर 2024)
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ - रात 08 बजकर 32 मिनट से (14 सितंबर 2024)
श्रवण नक्षत्र समाप्त - अगले दिन शाम 6 बजकर 49 मिनट तक (15 सितंबर 2024)
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पौराणिक कथाओं के अनुसार स्वर्ग लोक पर इंद्र देव का शासन पुनः स्थापित करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था। राजा बलि भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे, लेकिन उन्होंने देव इंद्र को गद्दी से उतार दिया और स्वयं स्वर्ग लोक के सिंहासन पर बैठ गए थे।
बली ने न केवल स्वर्ग लोक, बल्कि भू लोक और पाताल लोक पर भी अपना शासन कायम कर लिया था। जिसकी वजह से इंद्र अन्य देवताओं के साथ सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने इंद्र देव को अपना वचन दिया और कहा कि वह अदिति और कश्यप के घर में उनके पुत्र के रूप में वामन अवतार लेंगे और राजा बलि के क्रूर व्यवहार से 3 लोकों को बचाएंगे।
अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए भगवान विष्णु ने एक बौने भिक्षु के रूप में वामन के रूप में जन्म लिया। जिसके बाद वह अश्वमेघ यज्ञ करा रहे राजा बलि के पास गए। भिक्षा में वामन ने बलि से तीन पग भूमि देने का अनुरोध किया, जिसे बलि ने स्वीकार कर लिया। उसके तुरंत बाद वामन एक विशाल प्राणी में बदल गए।
फिर उन्होंने अपने पहला कदम पूरी पृथ्वी पर और दूसरा कदम स्वर्ग पर रखा। इसके बाद तीसरा कदम रखने के लिए कोई जगह नहीं थी। जिसके बाद राजा बलि ने अपना वामन देवता के आगे अपना सिर रख दिया। जिससे वामन देवता बहुत प्रसन्न हुए और राजा बलि को पाताल लोक में शासन प्रदान किया।
इसके अलावा भगवान ने बली को यह भी आशीर्वाद दिया कि वह वर्ष में एक बार पृथ्वी पर आकर अपने मूल निवासियों से मिल सकेंगे। केरल में ओणम त्योहार वही दिन है, जिस दिन राजा बलि हर साल घर लौटते हैं। जबकि भारत के अन्य हिस्सों में बलि प्रतिपदा के दिन उनकी घर वापसी का जश्न मनाया जाता है।
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