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Mahalaxmi Vrat Kab Hai 2024: महालक्ष्मी व्रत 2024 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और महालक्ष्मी व्रत की कथा

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Mahalaxmi Vrat Kab Hai 2024

Mahalaxmi Vrat Kab Hai 2024: महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है और इसका समापन अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। 16 दिनों तक चलने वाले इस व्रत में मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। माना जाता है जो भी व्यक्ति इन 16 दिनों मां लक्ष्मी की सच्चे मन से आराधना करता है, उसके जीवन में धन, धान्य और किसी भी प्रकार की कोई सुख-सुविधा की कमीं नही रहती तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत 2024 में कब है (Mahalaxmi Vrat 2024 Mein Kab Hai), महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त (Mahalaxmi Vrat Shubh Muhurat) और महालक्ष्मी व्रत की कथा (Mahalaxmi Vrat Story)

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महालक्ष्मी व्रत 2024 प्रारंभ और समाप्ति की तिथि (Mahalaxmi Vrat 2024 Starting and Ending Date)

महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ- 11 सितंबर 2024

महालक्ष्मी व्रत समाप्त- 24 सितंबर 2024

महालक्ष्मी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त (Mahalaxmi Vrat 2024 Shubh Muhurat)

चन्द्रोदय समय - दोपहर 1 बजकर 20 मिनट (11 सितंबर 2024)

अष्टमी तिथि प्रारम्भ -  रात 11 बजकर 11 मिनट से (10 सितंबर 2024)

अष्टमी तिथि समाप्त - अगले दिन रात 11 बजकर 46 मिनट तक (11 सितंबर 2024)

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महालक्ष्मी व्रत की कथा (Mahalaxmi Vrat Ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक गांव में एक गरीब आदमी अपने परिवार के साथ रहता था। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और नियमित रूप से उनकी पूजा करता था। उसने अपने घर की दरिद्रता दूर करने के लिए भगवान विष्णु की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर श्री विष्णु ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। तब उस व्यक्ति ने वरदान में मांगा कि देवी लक्ष्मी उसके घर में निवास करें। 

तब भगवान विष्णु ने उनकी इच्छा के फलस्वरूप कहा कि यदि तुम अपने घर में लक्ष्मी लाना चाहते हो तो एक महिला सुबह-सुबह तुम्हारे गांव के मंदिर में गोबर के उपले चढ़ाने आती है। वह महिला साक्षात मां लक्ष्मी हैं। जाओ और उनसे अपने घर में निवास करने का अनुरोध करो। 

जब आपके घर में माता लक्ष्मी का वास होगा तो आपका घर सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहेगा। इतना कहकर भगवान विष्णु अन्तर्धान हो गए। अगले दिन उस व्यक्ति ने वैसा ही किया। जब स्त्री के रूप में लक्ष्मी जी मंदिर में गोबर के उपले चढ़ाने आईं तो उन्होंने उनसे अपने घर में ही रहने का अनुरोध किया। 

स्त्री वेशधारी देवी लक्ष्मी को यह समझते देर नहीं लगी कि यह उपाय अवश्य ही भगवान विष्णु ने ही दिया है। उन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि यदि तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे घर में रहूं तो तुम्हें विधिपूर्वक महालक्ष्मी व्रत करना होगा।16 दिन तक व्रत करने और 16वें दिन की रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने से तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी और मैं अवश्य तुम्हारे घर में निवास करूंगी। 

उस व्यक्ति ने देवी लक्ष्मी के कहे अनुसार व्रत-पूजन किया और उत्तर दिशा की ओर मुख करके देवी का आह्वान किया। उसके बाद देवी लक्ष्मी अपने वचन के अनुसार ब्राह्मण के घर में रहने लगीं और उसका घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया। माना जाता है कि इसी समय से महालक्ष्मी व्रत की परंपरा शुरू हुई।




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