Onam 2024 Date and Time: ओणम 2024 में कब है, जानिए क्या है इस त्योहार की कथा और कैसे मनाया जाता है ओणम
Onam 2024 Date and Time |
15 सितंबर 2024
ओणम 2024 शुभ मुहूर्त (Onam 2024 Shubh Muhurat)
थिरुवोणम् नक्षत्रम् प्रारम्भ - रात 8 बजकर 32 मिनट से (14 सितंबर 2024)
थिरुवोणम् नक्षत्रम् समाप्त - अगले दिन शाम 06 बजकर 49 मिनट तक (15 सितंबर 2024)
ओणम का यह त्योहार विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। इस त्योहार को सबसे ज्यादा केरल में मनाया जाता है। केरल में इस त्योहार को सभी पर्वों में सबसे अधिक महत्वता दी जाती है। ओणम का यह त्योहार एक कृषि पर्व के रूप में मनाया जाता है।
इसलिए इस त्योहार की प्रमुखता कई गुना बढ़ जाती है। भगवान वामन का सिर्फ एक मंदिर केरल के त्रिक्काकरा नामक स्थान पर ही स्थित है। माना जाता है कि ओणम के इस त्योहार की शुरुआत भी इसी जगह से हुई थी। इस त्योहार को मलयाली लोग 10 दिनों तक मनाते है।
जिसमें से पहले दिन को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। ओणम के पहले दिन उथ्रादम मनाया जाता है।जिसमें पूरे घर की अच्छी तरह से साफ सफाई की जाती है और पूरे घर को सजाया जाता है। इसके दूसरे दिन थिरूओणम मनाया जाता है। जिसमें पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है।
इस दिन घर में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जिसमें कम से कम 20 पकवान तो होते ही हैं। क्योंकि ओणम में 20 पकवान से कम पकवान बनाना अशुभ माना जाता है। ओणम के दिन जो पकवान की थाली तैयार की जाती है उसे साध्य थाली कहा जाता है।
इस दिन महिलाएं अपने घर के बा हर फूलों की पंखूड़ियों से रंगोली बनाती है। जिसे पूकलम नाम से जाना जाता है और घर की महिलाएं और लड़कियां एकत्रित होकर इस रंगोली के चारों और नृत्य करती है। इस नृत्य को तिरुवाथिराकलि कहा जाता है। ओणम के पहले दिन बनाई जाने वाली रंगोली जिसे पूकलम भी कहते हैं।वह छोटी होती है।
ओणम की कथा (Onam Story)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, केरल के राजा बली ने देवताओं को हराकर तीनों लोकों पर शासन करना शुरू कर दिया था और उनके शासनकाल के दौरान स्थानीय लोगों ने सबसे अच्छा समय देख था, हर जगह समृद्धि और भव्यता का शासन था। सभी देवता राजा बलि को लेकर काफी असुरक्षित महसूस करते थे।
इसलिए सभी देवताओं ने इसके लिए भगवान विष्णु से मदद मांगी। जिसके बाद भगवान विष्णु एक वामन (छोटे ब्राह्मण) का रूप रखकर राजा बलि के पास भिक्षा मांगने पहुंच गए और उनसे तीन पग धरती मांगी। लेकिन भगवान विष्णु ने दो ही पग में धरती और आकाश को नाप लिया।
जिसके बाद राजा बलि ने तीसरा पग उन्हें अपने सिर पर रखने के लिए कहा। जिसके बाद भगवान विष्णु राजा बलि से काफी प्रसन्न हो गए और उन्होंने राजा बलि को पाताल लोक में शासन करने के लिए कहा और साथ ही यह भी वरदान दिया की वह साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए आ सकते हैं।
राजा बलि के इसी आगमन को ओणम के नाम से जाना जाता है। जिसे केरल के लोग काफी उत्साह से मनाते हैं।
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