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Navpatrika Puja Vidhi: यहां जानें नवपत्रिका पूजा की संपूर्ण विधि

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Navpatrika Puja Vidhi

Navpatrika Puja Vidhi: संस्कृत में नव का अर्थ है नौ और पत्रिका का अर्थ है पत्ता, इसलिए इसका नाम नवपत्रिका पड़ा। इन नवपत्रिकाओं को महासप्तमी (Maha Saptamih) के दिन दुर्गा पंडाल में रखा जाता है। नवपत्रिका नौ प्रकार की पत्तियों को मिलाकर बनाई जाती हैं और फिर इनका उपयोग दुर्गा पूजा (Durga Puja) में किया जाता है। यह पर्व बंगाल, उड़ीसा और पूर्वी भारत के प्रांतों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। 

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बंगाली समुदाय के लिए दुर्गा पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है, वे इसे बहुत गर्व के साथ मनाते हैं। नवपत्रिका पूजा महासप्तमी के दिन की जाती है। जिसमें मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है। यदि आप भी महासप्तमी के दिन नवपत्रिका पूजा करके मां दुर्गा आवाहन करना चाहते हैं, लेकिन आपको इसकी पूजा विधि के बारे में नहीं पता है तो हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो बिना किसी देरी के चलिए डालते हैं नवपत्रिका पूजा की विधि पर एक नजर...

नवपत्रिका पूजा विधि (Navpatrika Puja Vidhi)

1. नवरात्रि की सप्तमी तिथि को नवपत्रिका पूजा जाती है। नवपत्रिका नौ अलग-अलग तरह की पत्तियों को मिलाकर तैयार किया जाता है। जिसमें  केला, कच्वी, हल्दी,जौं,बेलपत्र,अनार, अशोक,मनका और धान के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। 

2. इसके बाद इस नवपत्रिका को  सबसे पहले गंगाजल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद बारिश के पानी, सरस्वती नदी के जल, समुद्र के जल,कमल वाले तालाब का पानी और फिर झरने के पानी से नवपत्रिका को स्नान कराया जाता है। 

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3. नवपत्रिका को स्नान कराने के बाद लाल  साड़ी पहनाई जाती है। मान्यता है कि नवपत्रिका को नई नवेली दुल्हन की तरह सजाना चाहिए। 

4.इसके बाद इसे पंडाल में मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ रखा जाता है और मां दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद विधिवत पूजा की जाती है।

5.नवपत्रिका को पूजा के स्थान पर ले जाकर इस पर चंदन और फूल आदि अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद इसे गणेश प्रतिमा के दहिनी ओर रखा जाता है और अंत में मां दुर्गा की महाआरती के बाद भक्तों के बीच प्रसाद बांटा जाता है। 


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